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मई 2017 से पूरे देश में रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) लागू हो गया
है। रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) क्या है ? इसके फायदे क्या हैं ?
लोगों को इससे क्या फ़ायदा होगा ? रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) के
लागू होने से बिल्डरों की मनमानी पर किस तरह लगाम लग सकेगी यह सारे सवाल
लोगों के ज़हन में है। इन सवालों के जवाब जानने के लिए सबसे पहले हमें इस
एक्ट के प्रावधानों को समझना होगा।
रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) बिल वर्ष 2013 में आवास एवं शहरी
ग़रीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में पेश किया गया। पिछले वर्ष
मार्च 2016 में यह बिल संसद में पास हुआ और 1 मई 2017 से लागू कर दिया गया
है। इस बिल के प्रावधानों को समझें तो उसका सीधा फायदा उपभोक्ता को मिलने
वाला है। उपभोक्ता के साथ होने वाली धोखाधड़ी पर काफ़ी हद तक काबू किया जा
सकेगा।
रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट के अंतगर्त प्रत्येक बिल्डर और ख़रीद व
बिक्री करने वाले एजेंट को रजिस्ट्रेशन कराना होगा और अपने प्रोजेक्ट की
पूरी जानकारी डिटेल में वेबसाईट पर देना होगी। प्रोजेक्ट पूरा होने की
समयसीमा, साईट के लेआउट आदि जानकारी वेबसाईट पर सबमिट करना होगी। बिल्डरों
को लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा बिना रजिस्टर कराये बिल्डर/एजेंट
ग्राहक से एडवांस रकम नहीं ले सकेगा। ग्राहकों से जो एडवांस रकम ली
जायेगी उस रकम का 70% एक अलग बैंक खाते में जमा करना होगा।
रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) में हर राज्य के लिए एक पैनल बनाया जायेगा। इस पैनल में 1 चेयरपर्सन सहित 2 सदस्य होंगे। रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट के अंतगर्त अगर बिल्डर/प्रमोटर द्वारा प्रापर्टी का रजिस्ट्रशन नहीं कराया जाता है तो उसके लिए जुमार्ने का प्रावधान रखा गया है। जुमार्ने की रकम प्रोजेक्ट की कुल लागत का 10% होगी। आदेश की अवहेलना में 3 वर्ष तक की जेल भी हो सकती है। जो प्रोजेक्ट रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट के लागू होने से पूर्व लांच हो चुके हैं उनके लिए भी रजिस्ट्रेशन कराना ज़रूरी होगा।
देश में हज़ारों रियल स्टेट कंपनियां हैं जो प्रतिवर्ष 2000 से अधिक प्रोजेक्ट लांच करती हैं। देश में लाखों लोग अपना घर पाने का सपना पूरा करने के लिए इन प्रोजेक्ट में निवेश करते हैं। कई बार प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद जब लोगों को मकान/फ्लेट/बंगला मिलता है तो उनकी शिकायत होती है कि जैसा उन्हें बुकिंग के समय बताया गया था वैसा घर नहीं मिला है। डिज़ायन/क्वालिटी या अन्य कई तरह की कमी मिलती है। इस तरह की धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा। रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट के अंतगर्त हर राज्य में एक ट्रिब्युनल बनाये जाने का प्रावधान है। जिसमे ग्राहक अपील कर सकते हैं।
रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट के लागू होने का फ़ायदा उपभोक्ताओं को होगा। उन्हें समय पर घर मिल सकेगा। साथ ही बिल्डर की मनमानी और धोखाधड़ी पर भी रोक लगेगी।
रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) में हर राज्य के लिए एक पैनल बनाया जायेगा। इस पैनल में 1 चेयरपर्सन सहित 2 सदस्य होंगे। रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट के अंतगर्त अगर बिल्डर/प्रमोटर द्वारा प्रापर्टी का रजिस्ट्रशन नहीं कराया जाता है तो उसके लिए जुमार्ने का प्रावधान रखा गया है। जुमार्ने की रकम प्रोजेक्ट की कुल लागत का 10% होगी। आदेश की अवहेलना में 3 वर्ष तक की जेल भी हो सकती है। जो प्रोजेक्ट रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट के लागू होने से पूर्व लांच हो चुके हैं उनके लिए भी रजिस्ट्रेशन कराना ज़रूरी होगा।
देश में हज़ारों रियल स्टेट कंपनियां हैं जो प्रतिवर्ष 2000 से अधिक प्रोजेक्ट लांच करती हैं। देश में लाखों लोग अपना घर पाने का सपना पूरा करने के लिए इन प्रोजेक्ट में निवेश करते हैं। कई बार प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद जब लोगों को मकान/फ्लेट/बंगला मिलता है तो उनकी शिकायत होती है कि जैसा उन्हें बुकिंग के समय बताया गया था वैसा घर नहीं मिला है। डिज़ायन/क्वालिटी या अन्य कई तरह की कमी मिलती है। इस तरह की धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा। रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट के अंतगर्त हर राज्य में एक ट्रिब्युनल बनाये जाने का प्रावधान है। जिसमे ग्राहक अपील कर सकते हैं।
रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट के लागू होने का फ़ायदा उपभोक्ताओं को होगा। उन्हें समय पर घर मिल सकेगा। साथ ही बिल्डर की मनमानी और धोखाधड़ी पर भी रोक लगेगी।
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