विवादित सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य ने ट्विटर पर किये ट्वीट में जेएनयू छात्रसंघ की नेता शहला राशिद पर बहुत ही बेहूदा टिप्पणी की साथ ही लेखिका अरुंधति राय के खिलाफ सांसद और अभिनेता परेश रावल ट्वीट को आपत्तिजनक कमेंट के साथ रीट्वीट किया। अभिजीत भट्टाचार्य पहले भी अपनी हरकतों के कारण विवादों में रहे हैं, लेकिन इस बार अभिजीत भट्टाचार्य ने महिलाओं के खिलाफ जिस तरह बेहूदा शब्दों और भाषा का प्रयोग किया है उसकी जितनी निंदा की जाये का है। अभिजीत भट्टाचार्य की इस बेहूदा हरकत का सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर विरोध किया, ट्विटर ने भी एक्शन लेते हुए अभिजीत के ट्विटर अकाउंट को सस्पेंड कर दिया है। इससे पहले भी अभिजीत भट्टाचार्य को पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणि करने पर गिरफ्तार किया जा चूका है। कुछ समय पहले कारगिल में शहीद हुए कैप्टेन मनदीप सिंह की बेटी गुरमेहर कौर के खिलाफ भी एक संघठन द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणियां गई थीं, गुरमेहर कौर को जान से मारने और दुष्कर्म की धमकी तक दी गई थी।
देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने वालों का समर्थन कर रहे हैं, इन्ही में से एक है सिंगर सोनू निगम उसने अभिजीत भट्टाचार्य के समर्थन में अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट करने की बात कही है। सोनू निगम खुद कुछ समय पहले अपने आपत्तिजनक ट्वीट के कारण विवादों में रहा है। वर्तमान में कुछ लोगों ने चर्चा में आने के लिए सोशल मीडिया को एक प्लेटफार्म समझ लिया है, किसी के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट / पोस्ट करो और चर्चा में आ जाओ, इन लोगों की मानसिकता इतनी घटिया है की ये लोग चर्चा में आने के लिए कुछ भी उल्टा सीधा लिखने से परहेज़ नहीं करते, इन्हे इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता की जिसके खिलाफ लिख रहे हैं उसे इन सबसे कितनी मानसिक तकलीफ से गुज़ारना पड़ेगा। महिलांओं के खिलाफ लिखते समय भी आपत्तिजनक अपनी भाषा और शब्दों प्रयोग करने से नहीं चूकते। अभियक्ति की स्वंतंत्रता के नाम पर आपत्तिजनक भाषा और शब्दों प्रयोग कहाँ तक जायज़ है ? अभियक्ति की स्वंतंत्रता के नाम किसी पर बेहूदा इलज़ाम लगाना और बेहूदा शब्दों का प्रयोग क्यों किया जा रहा है।
भारत जहाँ महिला को देवी का दर्जा दिया जाता है वहां महिलांओं के खिलाफ
इतनी बेहूदा शब्द और भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। एक तरफ सरकार
महिलांओं को अधिकार दिलाने इनके सम्मान और रक्षा की बात करती है वहीं दूसरी
और ऐसी घटनाओं पर चुप्पी साध लेती है। महिलाओं को न्याय और सम्मान की बात करने वाले प्रधानमंत्री इन लोगों के खिलाफ कोई टिप्पणी तक नहीं करते ? केवल महिला सशक्तिकरण की बाते करने से से कुछ नहीं होगा, महिलाओं का अपमान करने वालों पर लगाम लगाना भी ज़रूरी है।
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