भारत में पहली बार EVM का प्रयोग मई, 1982 में केरल के परूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र किया गया था। वर्ष 2004 से चुनाव में पूर्ण रूप से EVM का का इस्तेमाल सभी चुनावों (लोकसभा, विधानसभा, नगरी निकाय) में किया जाने लगा। चुनाव आयोग को अनुसार EVM द्वारा वोटिंग पूरी तरह सुरक्षित और पारदर्शी है, लेकिन पिछले कुछ समय में EVM की पारदर्शिता और सुरक्षा पर कई प्रकार के सवाल उठे हैं। इस वर्ष 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में EVM में छेड़छाड़ होने का मुद्दा उठा। हालाँकि पहले भी कई बार EVM पर प्रश्नचिन्ह लगते रहे हैं। वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के वरिष्ट नेता लालकृष्ण आडवाणी ने EVM की विश्वसनीयता को संदेहास्पद माना था और बैलट पेपर द्वारा वोटिंग की मांग की थी। भाजपा नेता ने सुब्रमण्यम स्वामी ने भी EVM की कार्यप्रणाली पर संदेह जताया था। वर्ष 2010 में मिशिगन यूनिवर्सिटी (अमेरिका ) के वैज्ञानिकों के दावे के अनुसार उनके पास EVM हैक करने की तकनीक है। दुनिया के सभी विकसित देशों चुनाव बैलट पेपर द्वारा ही होता है। विकसित देश EVM को सुरक्षित नहीं मानते हैं। जर्मनी में EVM को असंवैधानिक मानकर बैन किया गया था। आयरलैंड में भी EVM पर रिसर्च की गई, इस रिसर्च में लगभग 51 मिलियन पाउंड खर्च हुए रिसर्च के निष्कर्ष के बाद EVM को असुरक्षित मानकर बैन किया गया। नीदरलैण्ड और इटली ने भी EVM को अपारदर्शी मानकर बैन किया।
मध्यप्रदेश में भिंड उपचुनाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली EVM के डेमो के दौरान गड़बड़ी देखने को मिली थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पूणे के पार्वती विधानसभा क्षेत्र में EVM हुई गड़बड़ी के लिए EVM की फॉरेंसिक जाँच के आदेश दिए हैं।
भारत में 5 राज्यों में हुए चुनाव के बाद 16 राजनैतिक दलों ने EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये हैं। राजनैतिक दलों और विशेषज्ञों का मानना है की EVM को हैक किया जा सकता है। 9 मई 2017 को दिल्ली विधानसभा में आम आदमीं पार्टी के विधायक सौरभ भरद्वाज ने डेमो टेस्ट के द्वारा बताया को किस तरह से EVM में छेड़छाड़ की जा सकती है। इस डेमो के लिए उन्होंने EVM जैसी एक मशीन का प्रयोग किया। इससे पहले भी कई बार तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा EVM में किस प्रकार से छेड़छाड़ हो सकती है डेमो के ज़रिये बताया है।
EVM की विश्वसनीयता के मुद्दे पर चुनाव आयोग ने 12 मई को विभिन्न राजनैतिक दलों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में 7 राष्ट्रीय दलों और 48 राज्य स्तरीय दलों को बुलाया गया है। चुनाव आयोग की छवि देश की एक निष्पक्ष संस्था के रूप में है। EVM पर उठते सवालों के कारण चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी है की वो इस समस्या का समाधान निकाले। जब इतने सारे लोग EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं तो ऐसे में चुनाव आयोग को भी EVM की निष्पक्ष रूप से जांच के लिए तैयार होना चाहिए और अगर EVM में छेड़छाड़ की बात सही साबित होती है तो EVM पर तुरंत बैन लगाना चाहिए।
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। EVM में गड़बड़ी होना लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है। चुनाव आयोग, सरकार, जनप्रतिनिधि सब पर लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व है। सभी राजनैतिक दलों को बिना किसी राजनैतिक फायदे के इस समस्या का हल निकलकर लोकतंत्र को मज़बूत बनाने के लिए साथ आना होगा।
मध्यप्रदेश में भिंड उपचुनाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली EVM के डेमो के दौरान गड़बड़ी देखने को मिली थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पूणे के पार्वती विधानसभा क्षेत्र में EVM हुई गड़बड़ी के लिए EVM की फॉरेंसिक जाँच के आदेश दिए हैं।
भारत में 5 राज्यों में हुए चुनाव के बाद 16 राजनैतिक दलों ने EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये हैं। राजनैतिक दलों और विशेषज्ञों का मानना है की EVM को हैक किया जा सकता है। 9 मई 2017 को दिल्ली विधानसभा में आम आदमीं पार्टी के विधायक सौरभ भरद्वाज ने डेमो टेस्ट के द्वारा बताया को किस तरह से EVM में छेड़छाड़ की जा सकती है। इस डेमो के लिए उन्होंने EVM जैसी एक मशीन का प्रयोग किया। इससे पहले भी कई बार तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा EVM में किस प्रकार से छेड़छाड़ हो सकती है डेमो के ज़रिये बताया है।
EVM की विश्वसनीयता के मुद्दे पर चुनाव आयोग ने 12 मई को विभिन्न राजनैतिक दलों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में 7 राष्ट्रीय दलों और 48 राज्य स्तरीय दलों को बुलाया गया है। चुनाव आयोग की छवि देश की एक निष्पक्ष संस्था के रूप में है। EVM पर उठते सवालों के कारण चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी है की वो इस समस्या का समाधान निकाले। जब इतने सारे लोग EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं तो ऐसे में चुनाव आयोग को भी EVM की निष्पक्ष रूप से जांच के लिए तैयार होना चाहिए और अगर EVM में छेड़छाड़ की बात सही साबित होती है तो EVM पर तुरंत बैन लगाना चाहिए।
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। EVM में गड़बड़ी होना लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है। चुनाव आयोग, सरकार, जनप्रतिनिधि सब पर लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व है। सभी राजनैतिक दलों को बिना किसी राजनैतिक फायदे के इस समस्या का हल निकलकर लोकतंत्र को मज़बूत बनाने के लिए साथ आना होगा।
No comments:
Post a Comment