इण्डियन फुटबाल टीम को इंटरनेशनल फीफा की रैंकिंग में 100 वां स्थान मिला है। 21 साल बाद इण्डियन टीम को टॉप 100 देशों की लिस्ट में जगह मिली है। इससे पहले इण्डियन फुटबाल टीम 101 वें स्थान पर थी। भारतीय टीम तीसरी बार टॉप 100 लिस्ट में आई है। इण्डियन फुटबाल टीम की अभी तक की सर्वक्षेष्ट रैंकिंग वर्ष 1996 में 94 वां स्थान पर रही है।
एशिया की फुटबाल टीमों में सबसे ऊपर ईरान की टीम 820 पॉइंट के साथ 28 वें स्थान पर है। इंडियन फुटबाल टीम 331 पॉइंट के साथ निगाराकुआ (331 पॉइंट), लिथुआनिया (331 पॉइंट), इस्टोनिया (331 पॉइंट) के साथ संयुक्त रूप से 100 वें स्थान पर है।
टॉप 10 टीमों में पहले नंबर पर ब्राजील (1672 पॉइंट), दूसरे नंबर पर आर्जेन्टाईना (1603 पॉइंट), तीसरा जर्मनी (1464 पॉइंट), चौथा चिलि (1411 पॉइंट), पांचवा कोलम्बिया (1348 पॉइंट), छटा फ्रांस (1294 पॉइंट), सातवां बैल्जियम (1281 पॉइंट), आठवां पुर्तगाल (1259 पॉइंट), नवां स्वीज़रलैण्ड (1212 पॉइंट) और दसवें स्थान स्पेन (1204 पॉइंट) को मिला है।
21 साल बाद भारतीय टीम को टॉप 100 टीम में जगह मिलना अच्छी बात है लेकिन अभी हमें बहुत लम्बा सफ़र तय करके और आगे जाना होगा। 2014 फुटबॉल वर्ल्ड कप के समय इण्डियन फुटबाल टीम रैंकिग में 154 वें स्थान पर थी जिसके कारण टीम वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकी थी।
क्रिकेट में इंडियन टीम दुनिया की सर्वश्रेष्ट टीम है तो फूटबाल में पीछे क्यों ? क्या हमारे देश में अच्छे खिलाडी नहीं हैं ? जवाब ये है की हमारे देश में टैलेंट को कोई कमी नहीं है और न ही अच्छे खिलाडियों की कोई कमी है कारन ये है की देश में क्रिकेट के अलावा अन्य सभी खेलों को महत्तव नहीं दिया जाता यूं तो हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है और एक समय था जब दुनिया भारत को हॉकी के चैंपियन के रूप में जानती थी, मेजर ध्यानचंद जैसे महान खिलाडियों ने देश को गौरान्वित किया है, लेकिन आज हॉकी किस स्थिति में है ये हम सब जानते हैं, कारण है सरकार और खेल संघों की लापरवाही, खेल संघों में चल रही आपसी खींचतान और राजनीति। वर्तमान में बी.सी.सी.आई दुनिया की सबसे धनी खेल संस्था है उसका कारण है की हमारे देश में क्रिकेट को अन्य खेलो के मुकाबले ज़्यादा महत्व देना, कहने का ये मतलब नहीं की क्रिकेट को महत्व न दिया जाये बल्कि क्रिकेट के साथ साथ अन्य खेलों को भी महत्व दिया जाना चाहिए। नाइजीरिया और घाना जैसे छोटे देश की टीमें भी वर्ल्ड कप में हिस्सा लेती हैं और भारत जो दुनिया का सबसे प्रगतिशील देश है उसकी टीम का वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में शामिल न हो पाना बहुत निराशजनक है, हम भी चाहते हैं हमारा देश भी फुटबॉल वर्ल्ड कप में हिस्सा ले और वर्ल्ड कप हमारे देश में आये. लेकिन वर्तमान हालत में ये सिर्फ एक सपना ही है, क्या ये सपना सच नहीं हो सकता ? यक़ीनन ये सपना सच हो सकता है अगर अब भी सरकार और खेल संघ राजनीति छोड़ कर सभी खेलों को महत्व देना शुरू करें तो आने वाले समय में हम खेल के हर क्षेत्र में वर्ल्ड चैंपियन बन सकते हैं।
हमारे देश में टैलेंट
की कोई कमी नहीं है बस ज़रूरत है उसे पहचानने की और सही मार्गदर्शन की और सुविधायें उपलब्ध करने की । सरकार को सभी खेलों की लिए नई नीति बनाने की ज़रूरत है। सभी शहरो और
गांवों में स्पेशल स्पोर्ट्स क्लब की स्थापना करनी चाहिए और उन क्लब की ज़िम्मेदारी
राजनेताओं के बजाये पूर्व खिलाडियों दी जानी चाहिए, इन क्लबों में प्रतिभावान बच्चों छोटी उम्र से फ्री
कोचिंग देकर प्रशिक्षित किया जाये, उन्हें फ्री संसाधन उपलब्ध करवाये जाये, ताकि वो बड़े होकर
अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं में भारत का नाम रोशन करे, अगर ऐसा
किया जाये तो भविष्य में भारत खेल के हर क्षेत्र में पहले स्थान पर होगा।
सिर्फ ज़रूरत है खेलों को राजनीति से दूर रखने की और खेल संघों में
राजनेताओं के बजाय पूर्व खिलाडियों को शामिल करने की, अगर सही नीति और सही
निर्णय लिया जाये तो हम खेल के क्षेत्र में विश्व विजेता बन सकते हैं
क्योंकि नामुमकिन कुछ भी नहीं है। कोई भी कोशिश पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ की जाये तो वो यक़ीनन कामयाब ज़रूर होती है। शायर बशीर बद्र साहब ने क्या खूब कहा है ''कौन कहता है आसमान में सुराग़ नहीं हो सकता कोई पत्थर तो तबियत से
उछालो यारों''
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