किताबें इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। किताबों से न सिर्फ ज्ञान मिलता है बल्कि व्यक्ति का मानसिक विकास भी होता है, इंसान की सोच का दायरा भी बड़ता है। किताबें पड़ना तो अधिकतर लोगों पसंद है लेकिन अक्सर गांव में लोगों को सभी तरह की किताबें नहीं मिल पाती हैं और कुछ किताबें इतनी महँगी होती हैं की ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए उनका खरीद कर पड़ना मुश्किल होता है। लेकिन अगर कोई गांव ही पूरी लाइब्रेरी बन जाये जाये तो साहित्य प्रेमियों के लिए इससे बड़ी ख़ुशी की बात क्या होगी। ऐसा ही हुआ है महाराष्ट्र के भीलर गांव में यह गांव देश का पहला बुक विलेज बन गया गया है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नीस ने 4 मई 2017 को सतारा ज़िले के भीलर गांव में देश के पहले बुक विलेज का उद्धघाटन किया। इस बुक विलेज को ''पुस्तकाचे गांव'' नाम दिया गया है। इस बुक विलेज में साहित्य, कविता, धर्म, महिला, बच्चों, इतिहास, पर्यावरण, लोक साहित्य, जीवन और आत्मकथाओं से सम्बंधित किताबें होंगी। लगभग 15,000 किताबें परिसर में उपलब्ध करायी जायेंगी। लाइब्रेरी में उन सभी किताबों को रखा जाएगा जिसे लोग ज्यादा पसंद करते है। यहाँ लोगों किताबें बिना किसी शुल्क के उपलब्ध कराई जाएँगी। कोई भी अपनी पसंद की किताब को ले सकता है और पड़ने के बाद उसे वापस करना होगी। नेत्रहीनों के लिए यहाँ ब्रेललिपि में भी किताबें उपलब्ध करवाई जायेंगी।
पंचगनी से लगभग 8 किलोमीटर दूर लगभग 2 किमी में फैले इस गांव में तीन मंदिर, लॉज और होटलों को मिलाकर कुल 25 जगहों पर लाइब्रेरी बनाई गई है। इस गांव को सजाने और पर्यटकों को लुभाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने अलग-अलग कलाकारों से गांव की 25 जगहों पर पेंटिंग बनवाकर और आकर्षक रूप दिलवाया है। इस यहां आने वाले टूरिस्टों को मनचाही किताब पढ़ने के लिए मिलेंगी. शासन ने यहां आने वाले पर्यटकों की जरूरतों को देखते हुए पूरे गांव को ही लाइब्रेरी में बदलने का फैसला किया है।
बुक विलेज बनाने का यह विचार ब्रिटेन के वेल्स शहर के हे-ऑन-वे से प्रभावित है। यह अपने पुस्तक भंडारों और साहित्य महोत्सवों के लिए जाना जाता है। स्थानीय साहित्य प्रेमियों के लिए ये गांव एक बेहतरीन जगह साबित होगा। बुक विलेज बनाना सरकार का प्रशंसनीय क़दम है, देश में और में भी बुक विलेज बनाये जाने चाहिए ताकि लोगो का किताबों के प्रति जुड़ाव और बड़े।
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