पगली प्रकृति - Vacuumed Sanctity
Story : MOHIT SHARMA
Artwork : ABHILASH PANDA
Coloring & Calligraphy : SHAHAB KHAN
Cover : AMIT ALBERT & SHAHAB KHAN
©Freelance Talents (2017) All Right Reserved
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उम्मीद! "अब तक जो बुरा-ग़लत हुआ कोई बात नहीं, आगे सब ठीक हो जायेगा।"
बस इसी तरह उम्मीद की डोर पकड़े पूरी दुनिया नाइंसाफी सहते हुए अपनी धुरी
पर घूमती रहती है। आशा की इस डोर को थामे दूसरी तरफ कुछ लोग होते हैं, जो
हर दौर में बाकी दुनिया को नये-नये भ्रम बेचते हैं। ऐसे चंद लोग उम्मीद
नहीं बल्कि यकीन रखते हैं कि दुनिया अपनी धुरी नहीं बदलेगी और डोर उनके हाथ
में ही रहेगी। आख़िर उन्हें ऐसी आदत जो पड़ जाती है। हाँ, कभी-कभार
शताब्दियों में कोई पागल इंसान या आम लोगो पर तरस खायी प्रकृति का पागलपन
डोर को झकझोर देता है या धुरी बदलकर बातों के मायने बदल देता है। अब सवाल
है क्या डोर पकड़े लोगो को बदलाव के लिए शताब्दियों का इंतज़ार करना चाहिए या
अपने कर्मों के एक-एक कदम में दशक लांघ कर खुद बदलाव लाना चाहिए?
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