राजस्थान में मोहम्मद अफराजुल के हत्यारे शम्भूलाल रैगर के समर्थन में राजस्थान में हिंसक प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ पुलिस पर हमला किया बल्कि न्यायलय पर भगवा झंडा भी फहरा दिया। ख़बरों के अनुसार हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, एस.पी. को भी सर में गंभीर चोट लगी है। सड़को पर उतारकर हिंसक गतिविधियां को अंजाम देना, पुलिस पर हमला करना, न्यायालय पर भगवा झंडा, एक हत्यारे को महिमामंडित करने के लिए और उसके अपराध को सही साबित करने के लिए लोग इस हद तक जा रहे हैं ये बहुत चिंता का विषय है। ख़बरों के अनुसार कई दिनों से इसकी तैयारियां चल रही थीं सोशल मीडिया, Whatsapp ग्रुप के ज़रिये लोगों को भड़काया जा रहा था। हत्यारे के लिए किसी अकाउंट में पैसे जमा किया जा रहा था। हत्यारे के कृत्य को ऊल जुलूल तर्कों के द्वारा सही साबित करके उसे हीरो बनाने की कोशिश की जा रही थी।
देश में पिछले कुछ समय से एक
अजीब सा माहौल बनता जा रहा है बेगुनाहों की हत्याओं को गलत तर्कों से सही साबित करने की कोशिश की जाती है। हत्यारों को महिमामंडित किया जाने लगा है। सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनलों पर होने वाली डिबेट तक में यही किया जा रहा है। विभिन्न राजनेताओं द्वारा मिल रहा समर्थन भी इन सबको बढ़ावा देने का काम कर रहा है। अख़लाक़ के हत्यारे के कृत्य को एक सांसद द्वारा सही साबित किया जाता है, उसे हत्यारे की बीमारी से हुई मौत पर उसके शव को तिरंगे में लपेटा जाता है, उसके परिवार को मुआवज़ा और सरकती नौकरी देने की मांग की जाती है, यही नहीं उसकी तुलना अमर शहीद भगत सिंह से की जाती है। पहलु खान की हत्या पर तो एक केंद्रीय मंत्री ने संसद में दिए अपने बयां में ऐसी किसी घटना के होने से ही इंकार कर दिया था। देश में हत्यारों को महिमामंडित करने का सिलसिला नया नहीं है, गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को भी महिमामंडित किया जाता रहा है।
शम्भूलाल रैगर जैसे लोग अचानक नहीं आ जाते बल्कि सोशल मीडिया (फेसबुक,
ट्विटर, व्हाट्सप्प आदि), विभिन्न कार्यक्रमों, भाषणों आदि के माध्यम से
लोगों को भड़काकर और उकसाकर उनका ब्रेनवाश किया जा रहा है। लोगों को झूठे
ऐतिहासिक तथ्य, धर्म और पुरानी घटनाओं के बारे में बताकर मानसिक रूप से
ऐसा करने के लिए तैयार किया जा रहा है। एक हत्यारे को हीरो बनाने की कोशिश हर दिन एक नए हत्यारे को हत्या के लिए मानसिक रूप से तैयार करने का काम कर यही है। इन लोगों को न तो कानून का डर है, न सरकार का, इनके लोगों के हौसले इतने बुलंद हैं की बहुत सी घटनाओं में तो खुद
हत्यारे ही हत्या का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं क्योंकि वो समझ चुके हैं की बहुत से लोग उनके समर्थन में खड़े होंगे। कुछ लोग केवल चर्चा में आने के लिए भी ऐसा कर रहे हैं। हत्यारों को महिमामंडित करने की मानसिकता नए नए हत्यारों को पैदा कर रही है। ये मानसकिता देश के लिए गंभीर खतरा है। ये मानसिकता देश को अन्धकार की और ले जा सकती है। सरकार को इस मानसिकता पर काबू पाने के लिए कड़े क़दम उठाने होंगे, सोशल और सभाओं के द्वारा लोगों को भड़काने वालों पर लगाम लगनी होगी। राजनेताओं को भी धर्म-जाति राजनीति को छोड़ना होगा। अपने राजनैतिक फायदे के लिए, वोटों के धुर्वीकरण के लिए भड़काऊ और विवादित भाषण से परहेज़ करना होगा। तभी एक विकसित भारत का सपना पूरा हो सकेगा।
शहाब ख़ान 'सिफ़र'
©Nazariya Now
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