“अमोदा, तुमसे दूर नहीं रह सकता । ओ..... तुमने क्यों किया ऐसा? मेरे लिए जीने से आवश्यक तुम हो। और अगर तुम मेरे जीवन में नहीं हो तो मृत्यु का वरण ही सही है।”,
अनुराग मन ही मन ये सोचता चला जा रहा था। समुद्र की लहरों की तरह सदैव प्रसन्न रहने वाला अनुराग का अंतर-मन आज समुद्र की तरह गहरा हो गया था। अंतर-मन की हलचल किसी को दिखाई नहीं दे रही थी, आँखे थोड़ी सी नम थी लेकिन ह्रदय बहुत ही तीव्र था। गले से शब्द नहीं निकल रहे थे, लेकिन मस्तिष्क में इतने विचार आ रहे थे कि हर विचार को देखना भी असंभव लग रहा था।
मनुष्य के जीवन में जब स्वयम के विचार ही विकार उत्पन्न करना आरम्भ कर दें तो यह मस्तिष्क में रोग उत्पन्न कर सकता है और धीरे-धीरे विकृत विचार, मानसिकता को भी विकृत करना आरम्भ कर देते हैं और इस निराशा में व्यक्ति कुछ भी कर सकता है, रोगी हो सकता है, आत्मघातक भी हो सकता है और अपराध भी कर सकता है। सोचने-समझने की शक्ति क्षीण होने पर ऐसा होना स्वाभाविक है।
अमोदा और अनुराग बचपन से ही साथ पढ़ते थे और अमोदा, अनुराग को पहले दिन से ही मोहित करती थी, अनुराग आरम्भ में तो समझा नहीं, लेकिन धीरे धीरे अमोदा उसके जीवन का अभिन्न अंग बनती गयी। दोनों का नाम भी स्कूल से लेकर कॉलेज तक के उपस्थिति रजिस्टर में भी आगे-पीछे ही रहा। अनुराग का बचपन मन युवा होने तक समझ गया था कि अमोदा उसके जीवन के लिए ही है। अनुराग मितभाषी, अंतर्मुखी व्यक्ति था लेकिन अमोदा इसके विपरीत सबके साथ हंसती रहती और हंसाती रहती थी। अमोदा, अनुराग के प्रेम को भी हंसी ठठ्ठा ही समझती थी और अनुराग उसके लिए एक अच्छे मित्र के समान था।
आज अमोदा ने बड़ी मासूमियत भरी खुशी से अपनी मंगनी की बात सबको बताई थी। अनुराग हक्का-बक्का रह गया, उसके जीवन की सबसे बड़ी खुशी, बड़ी खुशी के साथ उससे दूर जा रही थी और उसको खुश देखकर वो निराश हो रहा था। वो अपने कॉलेज से निकल कर समुद्र तट पर आ गया और उसी समुद्र में विलीन होने के विचार उसके मन में स्वतः ही प्रकट होने लगे। वो सोच रहा था कि काश ये लहरें अपने साथ में उसे भी ले जाए और वह फिर कभी भी लौट कर धरती पर नहीं आये।
आत्मघात के विचार उसके मस्तिष्क पर हावी हो चुके थे। और उसने निर्णय कर लिया कि अब वो जीवित नहीं रहेगा। किसी भी हाल में नहीं, अमोदा उसका जीवन थी अब जब वो ही बिछड़ गयी तो जीवन ही बिछड़ गया। अब तो मृत्यु ही साथी है।
“मुझे जीवित नहीं रहना है”, उसने अंतिम निर्णय ले लिया।
उसने एक स्थान तलाश कर लिया, जहां पर सैलानी और अन्य लोग नहीं जाते थे क्योकि वह स्थान संकटमय था और वहां कई दुर्घटनाएं पहले भी हो चुकी थी। आज भी उस स्थान पर कोई नहीं था। कुछ क्षण अनुराग नम आँखों से लहरों का उतार-चदाव देखता रहा, उसे हर लहर में अमोदा का अक्स दिख रहा था और उसने ठान लिया कि उसे अमोदा में विलीन होना है, उसकी हंसी के साथ एकाकार होना है, और ये लहरें अमोदा का ही प्रतिरूप है।
“अमोदा मैं आ रहा हूँ, तुम्हारे पास”, अनुराग चिल्ला कर बोला, उसकी वाणी में दर्द के साथ कुछ मस्तिष्क की विकृति भी झलक रही थी, और यह कहते ही उसने बड़े बड़े क़दमों के साथ एक चट्टान की तरफ चलना आरम्भ कर दिया, उस चट्टान से पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी थी और कुछ व्यक्ति मर भी गए थे।
उसने उस चट्टान पर चढना शुरू कर दिया, चट्टान पर फिसलन थी, लेकिन उसका मन केवल वही शब्द दुहरा रहा था, “अमोदा मैं आ रहा हूँ...... तुम्हारे पास”, मृत्यु उसके समीप आ रही थी यह कहना सही नहीं होगा, लेकिन अनुराग मृत्यु के समीप जा रहा था, उसे पता था, कुछ क्षणों के पश्चात उसकी आत्मा इस शरीर को त्याग देगी, आत्मा जिसे पानी नहीं गला सकता है, आग नहीं जला सकती है, शस्त्र नहीं काट सकता है..... लेकिन ये शरीर अमोदा रूपी लहरों से एक होने वाला है और उसी में हमेशा के लिए समा जाएगा। अमोदा, यही प्रेम की पराकाष्ठा है। अपने जीवन का त्याग कर देना। इन्हीं विचारों के साथ अनुराग चलता ही जा रहा था कि एक तीव्र ध्वनी ने उसका ध्यान भंग कर दिया,
“रुको... मरने जा रहे हो तो जाओ, लेकिन मुझे कुछ दे जाओ।”
उसने मुड कर देखा, तो एक भिखारी किस्म का व्यक्ति, जिसकी दाढी बड़ी हुई थी, चेहरे पे वक्त की कालिमा थी, बिखरे अधपके बाल, फटे हुए कपडे, लेकिन आँखों में कुछ चमक सी थी, चट्टान के नीचे खड़ा हुआ था।
अनुराग ने भर्राई धीमी आवाज़ में पूछा, “क्या चाहिए?”
उस व्यक्ति की आँखों की चमक बढ़ गयी, बोला, “तुम तो मरने जा रहे हो, कुछ क्षणों में तुम ईश्वर के पास चले जाओगे, शरीर ना रहकर आत्मा बन जाओगे, आत्मा तो निर्विकार है और निरंकार है, उसे वस्त्रों की क्या आवश्यकता? आत्मा के वस्त्र तो होते नहीं। तो अपने वस्त्र तुम मुझे दे दो। बाकी चाहो तो तुम जाओ मरने, हमारा क्या? हम तुम्हें लम्बी उम्र की दुआ भी नहीं देंगे।”
एक भिखारी किस्म के व्यक्ति के मुंह से ऐसी बात सुनकर, अनुराग की गंभीरता बढ़ गयी और चेहरा थोड़ा और सख्त हो गया। उसने कहने की कोशिश की लेकिन आवाज़ बहुत धीरे निकली, “तुम्हे पता है मुझे क्या दुःख है?”
उस व्यक्ति ने कहा, “तुम मरने जा रहे हो, तो कोई ऐसा दुःख होगा, जिससे बड़ा दुःख कुछ भी नहीं हो सकता, वो असहनीय होगा, तभी इतना बड़ा निर्णय लिया।”
अनुराग ने कहा, “हाँ!! जिस लडकी से मैं बचपन से प्रेम करता हूँ, उसकी आज मंगनी किसी और से हो गयी। अब मैं मरने के अलावा और क्या करूँ?”
उस व्यक्ति ने कहा, “तुम्हे तुम्हारे माता-पिता से प्रेम नहीं है, वो तुम्हे उतना ही प्रेम उस क्षण से करते हैं, जिस क्षण तुम पहली बार धरती पर आये”
अनुराग ने कहा, “है, क्यों नहीं है, लेकिन अमोदा मेरा जीवन है। चलो तुम मेरे वस्त्र ले लो। आत्मा को तो वस्त्र की आवश्यकता नहीं होती।”
उस व्यक्ति ने कहा, “ऐसा नहीं है कि आत्मा को वस्त्र की आवश्यकता नहीं होती। आत्मा का वस्त्र है शरीर। अगर तुम्हें यह लग रहा है कि अपने शरीर को समाप्त करके, तुम अमोदा को भूल जाओगे तो तुम गलती कर रहे हो। तुम्हारी आत्मा भटकती रहेगी, अपने वस्त्र के लिए, क्योंकि अपने वस्त्र के साथ ही वो अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति कर सकती है। बिना वस्त्र के तुम्हारी आत्मा बिना अभिव्यक्ति के केवल तड़पती रहेगी।”
अनुराग ने कहा, “लेकिन मुझे अमोदा में मिलना है, वो मुझे इन लहरों में दिखाई दे रही है।
उस व्यक्ति ने कहा, “अमोदा तुम्हें अगर इन लहरों में दिखाई देती है तो मृत्यु के पश्चात् तुम्हारा निर्जीव शरीर तो इन लहरों में गल जाएगा लेकिन आत्मा इन लहरों से बाहर आ जायेगी, तुम आत्मा बन जाओगे, और फिर अमोदा में मिलने के लिए अपने वस्त्रों के लिए तरसोगे।”
एक भिखारी के मुंह से इतनी ज्ञान भरी बात सुन कर अनुराग थोड़ा चौंका, अब तक वो थोड़ा संयत भी हो चुका था। उसने धीरे से पूछा, “तुम्हें ये सब बातें क्या पता? क्या तुम कोई साधू हो?”
उस व्यक्ति ने कहा, “नहीं, मैं साधू नहीं हूँ। तुमसे कपडे मांग रहा हूँ, लेकिन भिखारी भी नहीं हूँ। मैं नमक का व्यापारी हूँ। नमक की खानें हैं मेरी। एक दिन मैं अपने परिवार के साथ तिरुपति बालाजी में तीर्थ के लिए गया हुआ था, एक महीने तिरुपति में रहने के बाद जब हम वापस लौट रहे थे तो कुछ अनजान लोगों ने हमला कर दिया, और मेरी पत्नी और दो बच्चों को लेकर पता नहीं कहाँ चले गए।”
उस व्यक्ति का गला भर्रा गया, लेकिन वो कहता रहा,”वो बच्चे, जिनसे मैं उनके पहले क्षण से उतना प्यार करता हूँ, जितना तुम अमोदा से करते होंगे, मुझसे बिछड़ गए। मैं पागल सा हो गया, पुलीस ने तहकीकात की, अपने जासूस लगाए, मंत्रियों से सिफारिश लगवा कर सब जगह ढूंढवाया, लेकिन कुछ पता नहीं चला। जैसे तैसे मैं अपने घर पर पहुंचा, वहां जाकर पता चला कि, मेरा चचेरा भाई अब मालिक बन गया है, उसने धोखे से मेरा सब कुछ हथिया लिया, मेरी खानें, मकान, धन और मुझे विश्वास हो गया कि उसीने मुझ पर हमला करवाया था।”
कुछ क्षण रुक कर उसने फिर कहा, “मैं हर तरह से बेसहारा हो गया। मेरे पास मेरा कहने कुछ भी नहीं रहा। मुझे पता नहीं मेरा परिवार कहाँ है, इस धरती पर भी है या नहीं, मैं तुम्हारी तरह खुशकिस्मत नहीं हूँ, कम से कर तुम्हे पता तो है कि तुम्हारी अमोदा, इस धरती पर खुश है और तुम चाहो तो उसे और भी खुशियाँ किसी ना किसी तरह से दे सकते हो और मैं अपने परिवार को खुश कैसे रखूँ, मुझे ये भी नहीं पता”
उसकी आँखों में आंसू आ गए।
उसने फिर कहा, “लेकिन फिर भी एक आस है, आज नहीं तो कल मेरा परिवार मुझे फिर मिलेगा, मैं फिर कानूनी लड़ाई लड़ कर अपनी खुशियाँ फिर से पा सकता हूँ। इसलिए मुझे कुछ कपड़ों की आवश्यकता है ताकि उनकी तलाश में कुछ तो आसानी हो।”
अनुराग के पास एक दिन में दूसरी बार हक्का-बक्का होने का क्षण आ गया था, उसके पूर्व विचार कहीं छुप गए थे और उसे केवल यही सुनाई दे रहा था कि, “....... तुम्हारी अमोदा, इस धरती पर खुश है और तुम चाहो तो उसे और भी खुशियाँ किसी ना किसी तरह से दे सकते हो ...... और मैं अपने परिवार को खुश कैसे रखूँ, मुझे ये भी नहीं पता........... ”
अचानक से उसे बोध हुआ कि उसकी आत्मा उसीके स्वरुप में उसके सामने खड़ी हो गयी है, और उससे कह रही है, “अनुराग....!!! अनुराग का अर्थ होता है प्रेम और अमोदा का अर्थ आनदं, प्रेम के भीतर आनंद ही आनंद है लेकिन आनंद के भीतर प्रेम हो, आवश्यक नहीं। अमोदा सदा तुम्हारे भीतर है, तुम अमोदा के भीतर हो या नहीं इसकी तकलीफ को छोड़ दो। यह कोई दुःख नहीं है। जो चीज़ तुम्हारे भीतर है, उसे बाहर तलाश मत करो, उसके लिए दुखी मत हो, उसकी कोई आवश्यकता नहीं। तुम्हारा शरीर मेरा वस्त्र है, और मैं तुम्हारे भीतर हूँ, मैं केवल तुम्हारा ही नहीं अमोदा का प्रतिरूप भी हूँ, लेकिन तुम दोनों के प्रतिरूप बनने के लिए मुझे मेरा वस्त्र चाहिए। मैं ही प्रेम और आनंद का स्वरुप हूँ, फिर भी अदृश्य हूँ... अब अपने अनुराग में अमोदा को तलाश करो.... अपने जीवन को आनंदमय (अमोदामय) कर दो... कर दो अनुराग” उसकी आत्मा यह कहते हुए कहीं लुप्त हो गयी।
अनुराग ने मन ही मन दुहराया, “अमोदा, तुमसे दूर नहीं रह सकता, लेकिन मैं भूल गया था कि तुम तो हमेशा मेरे साथ हो, अगर मैं दुनिया में प्रेम बांटता हूँ तो मुझे आनंद अपने-आप ही मिल जाएगा, मुझे मेरी अमोदा मिल जायेगी। मेरी अमोदा इन समुद्र की लहरों में नहीं, मेरे द्वारा दी गयी आखों की चमक में है, दुनिया में बहुत दुःख भरा है... थोड़ा भी कम कर दूं तो अमोदा मेरे साथ है ।”
अनुराग ने उस व्यक्ति का हाथ पकड़ लिया और चल दिया... उसके साथ उसका परिवार ढूँढने के लिए...
लेखक : डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान)
(उदयपुर, राजस्थान)
(उदयपुर, राजस्थान)
Very Motivational...
ReplyDeleteवाह, कहानी पढ़कर अच्छा लगा। अच्छा काम किया है लेखक ने।
Deletenice
ReplyDeleteवाह.. बहुत अच्छी सकारात्मक कहानी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteप्रभावी कहानी... रचनाकार को बधाई
ReplyDeleteवाह...वाह... क्या खूब कहानी है.... कहानीकार ने दिल खुश किया...
ReplyDeleteएक राह दिखा रही है यह कहानी.... लेखक को इस लेखन के लिए हार्दिक बधाई
ReplyDeleteअच्छी कहानी... मोटीवेट करती हुई
ReplyDeleteक्या बात... बेस्ट से भी बेस्ट
ReplyDeleteबहुत अच्छे, बधाई सर
ReplyDeletenice story
ReplyDeletewow. good
ReplyDeleteVery Good Said. Congo bro.
ReplyDeleteउत्तम लेखन के लिए नमन आपको.
ReplyDelete---- अनुराग का अर्थ होता है प्रेम और अमोदा का अर्थ आनदं, प्रेम के भीतर आनंद ही आनंद है लेकिन आनंद के भीतर प्रेम हो, आवश्यक नहीं। अमोदा सदा तुम्हारे भीतर है, तुम अमोदा के भीतर हो या नहीं इसकी तकलीफ को छोड़ दो। -----
ReplyDeleteपूरी कहानी का सार इसी में निहित है. ये शब्द जीवन का रहस्य भी बता रहे हैं. इस अप्रतिम रचना पर वाह और सिर्फ वाह
शानदार अभिव्यक्ति सर| दिल को छूती कहानी|
ReplyDeleteऐसी कहानियों की ज़रूरत है समाज में बच्चे होकर कुछ भी कदम उठा लेते हैं साधुवाद है आपको
ReplyDeletereally good
ReplyDeleteप्रतियोगिता में अब तक की पढ़ी कहानियों में से बेस्ट
ReplyDeleteShreshth Kahani. Uttam.
ReplyDeleteChandresh... Good. Keep it up.
ReplyDeleteWow. Great End.
ReplyDeleteबढ़िया बेहतरीन सृजन
ReplyDeletenice.
ReplyDeleteबहुत अच्छी कहानी है...
ReplyDeleteSir great story
ReplyDeleteक्या कहने... बहुत खूब कहानी
ReplyDeletePerfect story
ReplyDeleteअद्भुत सृजन, बधाई
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी कहानी शुभकामनाएँ
ReplyDeleteनौजवानों के लिए प्रेरणा देती हुई रचना. सच्चे प्रेम को बताती.
ReplyDeleteसटीक कहानी सुन्दरतम
ReplyDeleteAchhi Katha
ReplyDeleteलाजवाब, यथार्थ के धरातल पर लिखी गयी कहानी :)
ReplyDeleteअच्छी सीख देती हुई रचना
ReplyDeleteबहुत अच्छी और रोमांचक कहानी
ReplyDeletebahut sundar kahani kash sabhi aisa hi soche
ReplyDeleteHeart touching
ReplyDeleteचंद्रेश जी अच्छी कहानी लिखने के लिये बधाई।
ReplyDeleteनितांत रोचक - दिलचस्प कहानी
ReplyDeleteजबरदस्त
ReplyDeleteबेहतरीन और प्रेरणादायी कहानी
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत कहानी है
ReplyDeleteपढ़कर सिर्फ एक ही शब्द दिल-दिमाग में आया...बेहतरीन
ReplyDeleteकई बार दो शब्द ही इंसान की जिंदगी बदल देते हैं. आर्ट ऑफ़ लिविंग
ReplyDeleteअति सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत अच्छे दृष्टिकोण से लिखी हुई कहानी
ReplyDeleteGood one. Best wishes.
ReplyDeleteसोचने को विवश करती रचना
ReplyDeleteप्रेरक और अच्छी कथा
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर चंद्रेश छतलानी भाई.....
ReplyDeleteदुनिया में प्रेम बांटने वाले को आनंद अपने आप ही मिल जाता है । क्या खूब पात्रों के नाम के साथ बेहतरीन सन्देश को जोड़ा है । अनुराग और अमोदा... बेहतरीन शिल्प और हृदयस्पर्शी कथा । ऐसी ही कहानियाँ लिखते रहो डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी जी ।
ReplyDelete- डॉ. अनुज सिंह
super
ReplyDeleteShandar Abhivykti
ReplyDeletegreat
ReplyDeleteसुंदर संदेश देती हुई कहानी
ReplyDeleteAwesome
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है डॉ. साहब... बधाई कबूल फरमाएं
ReplyDeleteवआह्ह्ह्ह्ह् बहुत अच्छी कहानी कही है चंद्रेश भाईजी
ReplyDeleteयुवाओं को प्रोत्साहित करते कथ्य पर आधारित रचना। अच्छा सन्देश।
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteसंगीत सा बज उठा दिल में इक कहानी पढ़ के
'चन्द्रेश' का लिखा पढ़ा तो दिल वाह-वाह धड़के
बहुत अच्छे
ReplyDeleteReally nice story
ReplyDeleteकहानी का बहुत खूबसूरत अंत किया है आपने...
ReplyDeleteसुंदर कहानी
ReplyDeleteसजीव चित्रण सुंदर कथा
ReplyDeleteबेमिसाल कहानी
ReplyDeleteगजब की कहानी .. बधाई योग्य लेखन
ReplyDeleteVERY NICE G
ReplyDeletesundar rachna..true love kya hota he.. ye bata gayi ye katha..
ReplyDeleteबहुत सुंदर कहानी। जीने की राह दिखती हुई अनुपम कथा।
ReplyDeleteउत्कृष्ट कथा
ReplyDeleteAmazing and heart touching story
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण
ReplyDeleteदिल पाखंडी होता ही है और अपने पाखडं में यह जो कुछ भी कर गुजरवाये वो भी कम| दिल के पाखण्ड को दिल ही तोड़ सकता है, जब विचार बदल जाते हैं... दिल बदल जाता है| रास्ता मिल जाता है... चट्टानें गायब हो जाती हैं| रचना दिल के इस मनोविज्ञान को दर्शाने में पूरी तरह सफल है यह कहानी| सफलतम कहानियों में से एक|
ReplyDeleteअच्छा संदेश! बधाई!
ReplyDeleteAti Uttam Kahani
ReplyDeletenicely expressed
ReplyDeleteReally wonderful. Ek alag nazariye ko darshati.
ReplyDeleteExcellent
ReplyDeleteअति सुंदर कहानी ... इसे ही तो प्रेम कहा जाता है। प्रेम के स्वार्थ से निकलने के लिए बहुत बड़ा दिल चाहिए होता है। प्रेमी/प्रेमिका से दूर जाने पर बरसों से यही होता आया है कि दिल सिकुड़ जाते हैं... कोई कुछ भी कदम उठा लेता है। प्रेमी/प्रेमिका ना मिलें तो जीने-मरने के वाडे याद आ जाते हैं... गलत कदम उठा लिया जाता है। हिंदी फिल्मों में यही सिखाया जाता है... जबकि मरना प्रेम नहीं... प्रेम का अंत है... प्रेम विस्तृत है... विशाल है... वसुधैव है... जीवन है... फ़िल्मी भ्रम का सर्वनाश करती यह कहानी उत्कृष्ट है। लेखक को साधुवाद देता हूँ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कहानी। सटीक और हृदयस्पर्शी शब्दों में आपने अपनी बात कह दी।
ReplyDeleteऐसी कहानियाँ दिल तक पहुँच जाती हैं .. भुलाए नहीं भुलती और बार-बार पढने भी और सुनाने को भी जी चाहता है ... बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteबेमिसाल कथा
ReplyDeleteप्रेरणादायक
ReplyDeleteखूब पसंद आयी
ReplyDeleteचट्टान पर खड़े आदमी को जिन शब्दों से चट्टान से उतारा है आपने उन शब्दों से चट्टान हृदय वाला भी पिघल जाए. अति सुंदर.
ReplyDeleteकला और भाव का खूबसूरत संयोजन
ReplyDeleteLovely story
ReplyDeleteप्रेम में त्याग की भावना होती है, सामने वाले को ख़ुशी देकर और खुश देखने में खुदकी ख़ुशी ढूंढना ही सच्चा प्रेम है... यूं मौत को गले लगा लेना प्रेम नहीं वियोग की भावना है। आजकल वियोग को ही प्रेम समझा जा रहा है, यह कहानी अपने कथ्य में जो कुछ कह रही है और जो सन्देश दे रही है, उस सच को सभी को अपनाना चाहिए और क्षणिक वियोग की भावना से ओतप्रोत होकर प्रेम को तिलांजली नहीं देनी चाहिये। मुझे यह कहानी बहुत पसंद आई।
ReplyDelete!
उलझनों को सुलझाती प्यारी सी कहानी
ReplyDeleteheart touching
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण कहानी पढ़ कर दिल भर आया। काश! दुनिया में सभी को ऐसे लोग मिल जाएँ ताकि कोई गलत डिसिजन न ले।
ReplyDeleteवाह डॉ. चंद्रेश कुमार छ्तलानी जी, बहुत ही सुंदर और सार्थक सन्देश देती कहानी लिखी है आपने ...
ReplyDeleteगजब का सृजन
ReplyDeleteबहुत खूब कहानी
ReplyDeleteइसे कहते हैं कहानी, बहुत सुंदर .. बेहतरीन
ReplyDeleteवाह चंद्रेश छ्तलानी भाई, आप कमाल लिखते हो ..
ReplyDeleteGreat story...
ReplyDeleteलाजवाब कहानी
ReplyDeleteBahut sundar rachna. badhai yogya lekhan.
ReplyDeleteअद्भुत सृजन, प्रशंसनीय
ReplyDeleteनिःसंदेह बहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद अच्छी और सार्थक कहानी पढने को मिली... सुंदर रचना
ReplyDeleteनिशब्द हूँ... बेहद अच्छी कहानी
ReplyDeleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteप्रेमिका की चाह
ReplyDeleteनहीं मिली तो आह
और कहानी पर
वाह - वाह और सिर्फ वाह
बहुत ही शानदार
ReplyDeleteबेहतरीन और ज्ञानवर्धक
ReplyDeleteविचारणीय विषय
ReplyDeleteNice bro.
ReplyDeleteKya kahne... sundar kahani
ReplyDeleteबहुत खूब सर
ReplyDeleteनये अंदाज में लिखी गयी शानदार कहानी...
ReplyDeleteनिःसंदेह कथा बहुत उत्तम है
ReplyDeleteबेहतरीन मज़ा आ गया पढ़कर
ReplyDeleteवाकई ,,, बहुत उम्दा
ReplyDeleteवाह बहोत खुब होकम
ReplyDeleteBahut Bahut Bahut Achhi Kahani... Great.
ReplyDeleteआकर्षण और प्रेम में यही अंतर है, आकर्षण में पाने की भावना होती है और प्रेम में सिर्फ प्रेम और कुछ भी नहीं| प्रेम को इस बात से असर नहीं पड़ता कि कोई साथ है या नहीं, कोई अलग है मिलन है| जैसे मीरा का कृष्ण के प्रति प्रेम था, कोई चाह नहीं.. कोई इच्छा नहीं.. विसुद्ध प्रेम| जहाँ पाने की इच्छा हो जाती है वो आकर्षण ही है| इस रचना में सामान्य शब्दों में जनसाधारण के लिए जो गहरा सन्देश दिया है, वो वास्तव में एक ऐसा सच है जिसे सभी को जानना चाहिए और उसका पालन भी करना चाहिए| समाज का बहुत बड़ा सुधार हो जाएगा| इस कहानी के लिए लेखक डॉ. चंद्रेश कुमार छ्तलानी को बधाई|
ReplyDeleteरक्षित सिंह सोलंकी
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteबहुत सुंदर कहानी
ReplyDeletevery nice.
ReplyDeleteGood Written.
ReplyDeleteBahut Umda Kahani.
ReplyDeletebahut achhi kahani
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत अच्छी कहानी। एक नई कल्पना
ReplyDeleteएक अछूते विषय पर लिखी गयी कहानी... heart touching story
ReplyDeleteबहुत अच्छी कथा है। बधाई हो आपको।
ReplyDeleteरचना ने दिल छू लिया...
ReplyDeletevery good story .. best one
ReplyDeleteNice creation.
ReplyDeleteमेरी ईलाइब्रेरी में इस कहानी के द्वारा मैनें एक और रत्न जोड़ दिया है। इस यूआरएल को सेव कर के रख दिया।
ReplyDeleteबढ़िया कहानी लिखे हो आप, चंद्रेश कुमार छ्तलानी जी
ReplyDeleteअपनी एक और बेहतरीन रचना से रूबरू कराने के लिए धन्यवाद आद. डॉ. चंद्रेश छ्तलानी जी सर
ReplyDeleteवाह क्या बात है सर जी
ReplyDeleteएक अनोखी प्रेमकथा
ReplyDeleteVERY VERY NICE
ReplyDeletevery good story.
ReplyDeleteपढने के बाद एक ही शब्द - वाह | बहुत ही अच्छी रचना कही है आपने श्रीमान चंद्रेश जी |
ReplyDeleteबहुत खूब जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteढेरों शुभकामनाएं मित्र
बहुत अच्छी कथा है। पढ़ते-पढ़ते समय कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला।
ReplyDeleteExcellent. number 1 story
ReplyDeleteएक सफल कहानी कही है आपने मित्र डॉ. चंद्रेश कुमार, आप बहुत अच्छा लिख रहे हैं| ऐसी कहानियाँ पढ़कर आपसे अपेक्षाएं बढती जा रही हैं| दिली शुभकामनाएँ मित्र|
ReplyDeleteअच्छी कथा नई सोच
ReplyDeleteवाह वाह भाई डॉ. चंद्रेश कुमार छ्तलानी जी , इतने अच्छे भावों से सृजित कहानी कही है आपने| पढ़ कर मन प्रफुल्लित हो गया| समसामयिक सकारात्मक सन्देश लिए ऐसी कहानी कहना आसान नहीं होता| खुल कर प्रशंसा करने को दिल चाह रहा है|
ReplyDeleteGreat story
ReplyDeletenice one bro
ReplyDeleteवर्तमान परिप्रेक्ष्य में युवा सोच को बदलने की शक्ति रखती बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति के माध्यम से रची कही कहानी, बधाई सर आपको
ReplyDeleteBehad Dilkash Kahani. Writer ko Mubarakbaad.
ReplyDeleteबहुत खुल कर प्रशंसा करने को दिल चाह रहा है, लेकिन प्रशंसा हेतु शब्द नहीं मिल रहे| गजब की कहानी है| ढेरों बधाईयाँ|
ReplyDeleteएक अच्छी सीख देती हुई अद्भुत शैली और शिल्प से युक्त कहानी|
ReplyDeleteVery nice Dr. Chandresh
ReplyDeleteWow. Very nice story.
ReplyDeleteकहानी बहुत अच्छी है. अंत ऐसा होगा सोचा भी नहीं था. आज भी अधिकतर बच्चे ऐसे ही भावुकता में आत्महत्या जैसे विचारों को अपना लेते हैं यह भी नहीं सोचते घर पर माता पिता इंतज़ार कर रहे होंगे.
ReplyDeleteWaah Chandresh bhaiya, bahut achche. Sundar sandeshprad katha.
ReplyDeleteBahut Sashakt Kahani
ReplyDeleteHeart touching and nice message giving story.
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना। मन भर आया। बहुत सुंदर लिखा है।
ReplyDeleteBahut Badhiya... Badhai
ReplyDeleteBest Story
ReplyDeleteUmda Srijan. Good one.
ReplyDelete