22 अप्रैल का दिन पूरी दुनिया में ''पृथ्वी दिवस'' के रूप में मनाया जाता है। पर्यावरण सुरक्षा एवं संरक्षण के उपाय अपनाने के साथ पर्यावरण सुरक्षा एवं संरक्षण को बढ़ावा देने और लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। वर्ष 1970 में अमेरिकी अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने इसकी शुरुआत की थी। गेलार्ड नेलसन ने, सबसे पहले, अमेरीकी औद्योगिक विकास के कारण हो रहे पर्यावरणीय दुष्परिणामों पर अमेरिका का ध्यान आकर्षित किया था। इसके लिये उन्होंने अमेरीकी समाज को संगठित किया, विरोध प्रदर्शन एवं जनआन्दोलनों के लिये प्लेटफार्म उपलब्ध कराया। वे लोग जो सान्टा बारबरा तेल रिसाव, प्रदूषण फैलाती फैक्ट्रियों और पावर प्लांटों, अनुपचारित सीवर, नगरीय कचरे तथा खदानों से निकले बेकार मलबे के जहरीले ढ़ेर, कीटनाशकों, जैवविविधता की हानि तथा विलुप्त होती प्रजातियों के लिये अरसे से संघर्ष कर रहे थे, उन सब के लिये यह जीवनदायी हवा के झोंके के समान था। वे सब उपर्युक्त अभियान से जुड़े। देखते-देखते पर्यावरण चेतना का स्वस्फूर्त अभियान पूरे अमेरिका में फैल गया। दो करोड़ से अधिक लोग आन्दोलन से जुड़े। ग़ौरतलब है, सन् 1970 से प्रारम्भ हुए इस दिवस को आज पूरी दुनिया के 192 से अधिक देशों के 10 करोड़ से अधिक लोग मनाते हैं। प्रबुद्ध समाज, स्वैच्छिक संगठन, पर्यावरण-प्रेमी और सरकार इसमें भागीदारी करती हैं।
दिन प्रतिदिन पृथ्वी का वातावरण दूषित होता जा रहा है। पर्यावरण के प्रदूषित होने के कई कारण है जैसे प्राकृतिक संसांधनों का दोहन, वनों की अत्यधिक कटाई, फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुंआ और दूषित पदार्थ, पॉलिथीन का अत्याधिक प्रयोग, वाहनों से निकलने वाला धुंआ आदि और भी कई कारण हैं जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है। ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ता प्रभाव भी एक गंभीर चिंता का विषय है पृथ्वी की सतह का तापमान लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है। वैज्ञानिक अनुमान के अनुसार भविष्य में धरती का तापमान इतना बढ़ जायेगा जिससे धरती पर कई सारी मुश्किलें खड़ी हो जाएँगी। धरती पर तापमान के बढ़ने पर जो सबसे मुख्य और जाना हुआ कारण है, वो है वायुमंडल में बढ़ती कॉर्बनडाई आक्साइड की मात्रा का स्तर। धरती पर इस विनाशक गैस के बढ़ने की मुख्य वजह जीवाश्म ईंधनों जैसे-कोयला और तेल का अत्यधिक इस्तेमाल और जंगलों की कटाई है। धरती पर घटती पेड़ों की संख्या की वजह से कॉर्बनडाई आक्साइड का स्तर बढ़ता है, इस हानिकारक गैसों को इस्तेमाल करने के लिये पेड़-पौधें ही मुख्य श्रोत होते तथा इंसानों द्वारा इसे कई रुपों (साँस लेने की क्रिया द्वारा आदि) में छोड़ा जाता है। बढ़ते तापमान की वजह से समुद्र जल स्तर बढ़ना, बाढ़, तूफान, खाद्य पदार्थों की कमी, तमाम तरह की बीमारीयाँ आदि का खतरा बढ़ जाता है। बढ़ते प्रदुषण के कारण ओज़ोन परत का क्षरण हो रहा है। ओज़ोन परत के बढ़ते क्षरण से सूरज अल्ट्रा वायलेट किरणों से खतरा बढ़ रहा है। जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो रहा है।
पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और इसके प्रति जागरूकता के लिए पृथ्वी दिवस नेटवर्ककी स्थापना की गई। पृथ्वी दिवस नेटवर्क की स्थापना 1970 में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण नागरिकता और साल भर उन्नति को बढ़ावा देने के लिए पृथ्वी दिवस के आयोजकों और डेनिस हायस के द्वारा की गयी थी। पृथ्वी दिवस के नेटवर्क के माध्यम से, कार्यकर्ता, राष्ट्रीय, स्थानीय और वैश्विक नीतियों में परिवर्तनों को आपस में जोड़ सकते हैं। अन्तराष्ट्रीय नेटवर्क 174 देशों में 17,000 संस्थानों तक पहुँच गया है, जबकि घरेलू कार्यक्रमों में 5,000 समूह और 25,000 से अधिक शिक्षक शामिल हैं, जो साल भर कई मिलियन समुदायों के विकास और पर्यावरण सुरक्षा कार्यकर्ताओं की मदद करते हैं।
पृथ्वी पर बढ़ते पर्यावरण प्रदुषण को रोकने के लिए कई उपाय अपनाने की ज़रूरत है। अपने आसपास की खाली भूमि पर पौधे लगाना चाहिए और साथ पेड़ों को काटने से बचाना होगा। वनों की बढ़ती कटाई को रोकना होगा। काग़ज़ का सही इस्तेमाल करके पेड़ों को बचाकर वनों का संरक्षण करना होगा। फैक्ट्रियों से निकलने वाले ज़हरीले धुएं और दूषित पदार्थों के निस्तारण के लिए विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना होगा, फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पदार्थों को नदियों में बहाने पर रोक लगनी होगी। वाहनों के धुएं पर्यावरण को बचने के लिए वाहनों का उचित प्रयोग करना होगा, सार्वजानिक परिवहन के साधनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना होगा। पानी का सदुपयोग करना होगा, पानी के व्यर्थ इस्तेमाल से बचना होगा। बिजली का सही इस्तेमाल करना होगा। पॉलिथीन के बजाये कपड़े के थैलों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना होगा।
पृथ्वी दिवस को केवल रस्म अदायगी के तौर पर नहीं मनायें बल्कि इसी दिन से अपना एक मिशन शुरू करें एक ऐसी दुनिया को बनाने का संकल्प लेकर उसके लिए प्रयास करें जहाँ धरती, हवा, पानी सब प्रदुषण से मुक्त हो। समाज स्वस्थ और खुशहाल हो। धरती पर हरियाली हो। इसके लिए अभी से प्रयास करने होंगे हमें खुद भी पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा और लोगों को भी जागरूक करना होगा।
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