''शोरूम में जननायक'' लेखक अनूप मणि त्रिपाठी जी का एक लाजवाब व्यंग्य
संग्रह हैं। उनकी इस किताब में एक से बढ़कर एक व्यंग्य हैं। हर व्यंग्य
अपने आप में अनूठा और लाजवाब। लेखक अनूप जी के लिखने का अंदाज़ बहुत ही
बेहतरीन हैं। एक तरफ जहाँ उनके व्यंग्य में हास्य है वहीँ दूसरी और देश की
गंभीर समस्यांओं को बहुत ही बेहतरीन तरीके से उठाया गया है। देश में
व्याप्त समस्याएं चाहे वो भ्रष्टाचार, राजनीति, गरीबी, साम्प्रदायिकता,
महंगाई, किसान आत्महत्या, गिरता पत्रकारिता स्तर आदि हर छोटी बड़ी समस्या
में हास्य का समावेश कर उसे बहुत ही बेहतरीन अंदाज़ में प्रस्तुत किया है।
शब्दों और भाषा का लाजवाब मिश्रण हर व्यंग्य को रोचक बना देता है। किताब
का पहला व्यंग्य ''दूर देश की बात'' में चापलूस लोगों के बारे में बहुत ही
बेहतरीन अंदाज़ में वर्णन किया है। ''एक अदद आत्मा की खोज'' व्यंग्य में
देश के आम और गरीब आदमी की व्यथा को हास्य के साथ लाजवाब तरीके से
प्रस्तुत किया है।
''देश एक खेत'' व्यंग्य में नेताओं के भ्रष्टाचार के मुद्दे को हास्य के साथ बहुत ही बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है। व्यंग्य में संवाद भी बहुत बेहतरीन हैं इसी व्यंग्य में एक संवाद है ''उन्हें बिना सहारे के खड़े होने में दिक्कत होती है। कभी नारे के सहारे खड़े होते हैं, तो कभी वादे के सहारे। एक व्यंग्य''सुर्ख़ियों की शोखियाँ'' में मीडिया और पत्रकारिता के गिरते स्तर को बेहतरीन अंदाज़ में वर्णित किया है। एक व्यंग्य ''डांडी भाई'' में किसान आत्महत्या को मुद्दे को उठाने का अंदाज़ लाजवाब है। ''आधी दुनिया पूरा सच'' व्यंग्य में महिलाओं के साथ बढ़ते अपराध का मुद्दा उठाया है।
पानी के संकट पर लिखा व्यंग्य ''नीर की पीर'' लाजवाब है, इस व्यंग्य पानी की समस्या पर वो लिखते हैं ''वो दिन दूर नहीं जब पानी के लिए पसीना नहीं खून बहाना पड़ेगा। प्रेमियों की जगह पानी पर पहरे बिठाये जायेंगे। जल सुरक्षा विशेष दल गठित होगा। बम्बू लिए बम्बे के पास सुरक्षा गार्ड होंगे . शादी में पानी की डिमांड पूरी न कर पाने के कारण धड़ाधड़ शादियां टूटेंगी। देश में पानी विवाद से सम्बंधित मुक़दमों की बाद होगी। बूँद - बूँद लफड़ा निपटारा प्रकोष्ट होगा। एक चम्मच पानी को सुरक्षित रखने के लिए लॉकर उपलब्ध कराये जायेंगे। पानी की तस्करी रोकने के लिए एंटी जल तस्करी विभाग होगा। विलासितापूर्वक जीवन उसका कहा जायेगा जो शौच के बाद शौचालय में एक लौटा पानी डालेगा। 'जीतो रहो' की जगह 'पीते रहो' का आशीर्वाद नैनिहालों को अपने बुज़ुर्गों से मिलेगा। घाट - घाट का पानी पीने वाले विरले ही मिलें। एक अन्य व्यंग्य ''त्रासदी से पहले की त्रासदी'' में सरकारी अस्पतालों की व्यथा को लाजवाब अंदाज़ में हास्य के साथ मिश्रित किया है।
''देश एक खेत'' व्यंग्य में नेताओं के भ्रष्टाचार के मुद्दे को हास्य के साथ बहुत ही बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है। व्यंग्य में संवाद भी बहुत बेहतरीन हैं इसी व्यंग्य में एक संवाद है ''उन्हें बिना सहारे के खड़े होने में दिक्कत होती है। कभी नारे के सहारे खड़े होते हैं, तो कभी वादे के सहारे। एक व्यंग्य''सुर्ख़ियों की शोखियाँ'' में मीडिया और पत्रकारिता के गिरते स्तर को बेहतरीन अंदाज़ में वर्णित किया है। एक व्यंग्य ''डांडी भाई'' में किसान आत्महत्या को मुद्दे को उठाने का अंदाज़ लाजवाब है। ''आधी दुनिया पूरा सच'' व्यंग्य में महिलाओं के साथ बढ़ते अपराध का मुद्दा उठाया है।
पानी के संकट पर लिखा व्यंग्य ''नीर की पीर'' लाजवाब है, इस व्यंग्य पानी की समस्या पर वो लिखते हैं ''वो दिन दूर नहीं जब पानी के लिए पसीना नहीं खून बहाना पड़ेगा। प्रेमियों की जगह पानी पर पहरे बिठाये जायेंगे। जल सुरक्षा विशेष दल गठित होगा। बम्बू लिए बम्बे के पास सुरक्षा गार्ड होंगे . शादी में पानी की डिमांड पूरी न कर पाने के कारण धड़ाधड़ शादियां टूटेंगी। देश में पानी विवाद से सम्बंधित मुक़दमों की बाद होगी। बूँद - बूँद लफड़ा निपटारा प्रकोष्ट होगा। एक चम्मच पानी को सुरक्षित रखने के लिए लॉकर उपलब्ध कराये जायेंगे। पानी की तस्करी रोकने के लिए एंटी जल तस्करी विभाग होगा। विलासितापूर्वक जीवन उसका कहा जायेगा जो शौच के बाद शौचालय में एक लौटा पानी डालेगा। 'जीतो रहो' की जगह 'पीते रहो' का आशीर्वाद नैनिहालों को अपने बुज़ुर्गों से मिलेगा। घाट - घाट का पानी पीने वाले विरले ही मिलें। एक अन्य व्यंग्य ''त्रासदी से पहले की त्रासदी'' में सरकारी अस्पतालों की व्यथा को लाजवाब अंदाज़ में हास्य के साथ मिश्रित किया है।
लेखक अनूप मणि त्रिपाठी जी ने जिस तरह से अपने लेखन में हास्य के साथ देश
की विभिन्न समस्यों का वर्णन किया है उसके लिए वो बधाई के पात्र हैं। छोटी
छोटी रचनाओं में उन्होंने गागर में सागर भरने का काम किया हैं। भाषा के
साथ शब्दों का लाजवाब मेल इस किताब को बहुत ही रोचक बना देता है। किताब
शुरू से अंत तक पाठक को बांधकर रखती है। बेहतरीन लेखन के लिए किताब को
''अंजुमन नवलेखन पुरस्कार 2016'' से पुरस्कृत किया गया है। किताब का
प्रकाशन ''अंजुमन प्रकाशन, इलाहबाद'' द्वारा किया गया है। किताब को विभिन्न
ऑनलाइन स्टोर से खरीदा जा सकता है। आप भी लेखक अनूप मणि त्रिपाठी जी ''शोरूम में जननायक'' व्यंग्य संग्रह हैं पढ़ें और हास्य व्यंग के संसार में खोने का आनंद लें।
शहाब ख़ान 'सिफ़र'
©Nazariya Now
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