अगर आपको बताया जाये की कटप्पा के पिता का नाम ''मलयप्पा'' था और कटप्पा का
एक छोटा भाई भी था जिसका नाम ''शिवप्पा'' था तो शायद आपको यक़ीन नहीं होगा
क्योंकि बाहुबली फिल्म के दोनों पार्ट में ऐसा कुछ बताया ही नहीं गया है।
‘‘बाहुबली द कन्क्लूज़न’’ में कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ये राज़ भी
आख़िरकार ज़ाहिर हो गया लेकिन उसके साथ और भी बहुत से सवाल लोगों के ज़ेहन में
थे जिनके जवाब नहीं मिले थे। जैसे कटप्पा गुलाम कैसे बना ? कटप्पा
के परिवार से जुड़े सवाल, महिष्मति साम्राज्य की स्थापना कैसे हुई ?
महाराज सोमदेव, बिज्जावल देव, महादेव के जीवन से जुडी महत्वपूर्ण घटनायें,
राजमाता शिवगामी के अतीत से जुड़े सवाल आदि। फिल्म के निर्माता निर्देशक
एस. एस. राजामौली चाहते थे की लोग बाहुबली फिल्म के हर किरदार से अच्छी तरह
से परिचित हों उनका मानना था की अगर इन सभी किरदारों के साथ महिष्मति
साम्राज्य का इतिहास भी विस्तार से बताया जाये तो उसके लिए ढाई ढाई घंटे की
दो फिल्म बनाकर भी बता पाना बहुत मुश्किल होगा, इसलिए एस. एस. राजामौली
ने महिष्मति साम्राज्य के इतिहास और बाहुबली फिल्म के हर किरदार से लोगों
को किताब के माध्यम से परिचित कराने का सोचा।
इस किताब को नाम दिया गया ''शिवगामी कथा'' इस किताब को लिखने के लिए एस.
एस. राजामौली को एक ऐसे लेखक की ज़रूरत थी जो अपनी विस्तृत कल्पना से
महिष्मति के इतिहास को जीवंत कर सके साथ ही हर किरदार के जीवन को विस्तार
से बता सके। एस.एस. राजामौली की तलाश पूरी हुई ''रोल ऑफ़ द डाइस'' और
''राइज ऑफ़ कलि'' किताब के लेखक आनंद नीलकंठन से मिलकर। एस.एस. राजामौली
ने ''शिवगामी कथा'' लिखने की ज़िम्मेदारी आनंद नीलकंठन को सौंपी।
आनंद नीलकंठन ने महज़ 109 दिन में इस किताब को लिखा है। ''शिवगामी कथा'' का
यह पहला भाग है, अभी इसके दो भाग और आने हैं। आनंद नीलकंठन ने बहुत ही
खूबसूरती के साथ हर किरदार के जीवन पर प्रकाश डालते हुए विस्तार से उस
किरदार को जीवंत किया है। कहानी की शुरुआत होती है जब शिवगामी की उम्र
महज़ 17 साल की है, शिवगामी के बचपन में किस तरह से शिवगामी के पिता देवराय
को राजद्रोही घोषित करके मृत्युदंड दिया गया और उसके कारण शिवगामी ने
महिष्मति साम्राज्य को बर्बाद करने की प्रतिज्ञा ली ये सब किताब में
विस्तार से बताया गया है। कहानी में एक के बाद एक नए राज़ खुलते जाते हैं और
साथ ही नए किरदारों से परिचय होता है। कटप्पा के जीवन उसके भाई शिवप्पा
और पिता मालियप्पा के बारे में बहूत विस्तार से बताया गया है। कहानी का हर
किरदार महाराज सोमदेव, महारानी हेमवती, राजकुमार बिज्जलदेव, राजकुमार
सोमदेव, पट्टराय, थिम्मा, स्कंदास, जीमोता, कामाक्षी, अल्ली,हिडम्बा,
राजगुरु रुद्रभट्ट, दण्डकार प्रताप, भूतराय, गुंडु रामु, केकी, हर किरदार
की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
शिवगामी कथा में हर अध्याय के साथ कहानी में रहस्य, रोमांच बढ़ता जाता
है। लेखक ने बहुत ही खूबसूरती केर साथ हर घटना का वर्णन किया है। लड़ाई और
भावनात्मक दृश्यों के वर्णन में लेखक आनंद नीलकंठन ने अपनी कलम का जादू
बखूबी दिखाया है, साथ ही प्राकर्तिक दृश्यों को बहुत विस्तार से अपने लेखन
द्वारा जीवंत किया है। कहानी शुरू से अंत तक पाठकों को बांधकर रखती है।
आनंद नीलकंठन ने अपने बेहतरीन लेखन से कहानी हर किरदार को महत्वपूर्ण बना
दिया है इसके लिए लेखक बधाई के पात्र हैं।
किताब का प्रकाशन ''वेस्टलैंड पब्लिकेशन लिमिटेड'' ने किया है। किताब की भूमिका एस. एस. राजामौली ने लिखी है। शिवगामी कथा हिंदी और इंग्लिश
दोनों भाषाओं में उपलब्ध है। हिंदी अनुवाद आदित्य शुक्ला ने किया है।
किताब का कवर पेज का बहुत ही आकर्षक है जिसे ग्राफ़िक डिज़ाइनर और
वी.एफ.एक्स आर्टिस्ट विश्वनाथ सुंदरम ने डिज़ाइन किया है इसके साथ ही
महिष्मति साम्राज्य का मैप (मानचित्र) को भी विश्वनाथ सुंदरम ने बहुत ही
खूबसूरती से डिज़ाइन किया है। निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है की शिवगामी
कथा एक लाजवाब किताब है जो पाठकों रहस्य और रोमांच के संसार में ले जाती
है और उन सभी किरदारों से परिचय कराती है जो फिल्म में नहीं दिखाए गए हैं,
साथ ही पूर्व की घटनाओं से भी अवगत कराती है । रहस्य और रोमांच से भरी
शिवगामी कथा निश्चित रूप से हर पड़ने वाले को ज़रूर पसंद आयेगी।
शहाब ख़ान 'सिफ़र'
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